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अंग्रेजों का बंगाल विजय : अलीनगर संधि/ सिराजुद्दौला और अंग्रेज

            अंग्रेजों का बंगाल विजय :- 

ब्रिटिश विजय से पूर्व का बंगाल :- 

बंगाल मुगल शासक के अधीन था बंगाल के नवाब बंगाल, बिहार और उड़ीसा के शासक थे । 18वीं सदी में बंगाल से यूरोप  शोरा, निल, काली मिर्च, चावल, चीनी ,रेशम इत्यादि का निर्यात होता था। 18वीं सदी के प्रारंभ में अंग्रेज पूरे एशिया का 60% निर्यात बंगाल से करता था । 1700 ईस्वी में मुर्शिद कुली खां को बंगाल का दीवान नियुक्त किया गया था। उसके उपरांत उसे बंगाल के सूबेदार भी बनाया गया।  कुली खां की मृत्यु के बाद बंगाल का शासक कुली खां के दमाद शूजाउद्दीन को बनाया गया जो 14 वर्षों तक शासन किया ।इसके बाद सरफराज खान और अलवर्दी खां बंगाल पर शासन किया। यह तीनों शासक बंगाल के लिए सफल साबित हुए। उसने बंगाल के विकास में अहम योगदान निभाया इस के काल में बंगाल ने समृद्धि की।  बंगाल के समृद्ध का एक और कारण था कि वह मराठा आक्रमण, जाटो आक्रमण एवं बाह्य आक्रमण से सुरक्षित था।

                      18 वीं सदी के पूर्वार्ध में 1706 से 1756 तक बंगाल ने अपने निर्यात द्वारा लगभग 6.5 करोड़ रुपए की चांदी अर्जित की और लगभग 2.3 करोड रुपए का सौदा भी किया। कोलकाता की आबादी 1706 में 15000 थी जो 1750 में बढ़कर एक लाख हो गया था और ढाका तथा मुर्शिदाबाद घनी आबादी वाला नगर बन गया था।

                        अंग्रेजी कंपनी को विशेषाधिकार मिलने से बंगाल प्रांत के प्रशासन बेहद नाराज थे क्योंकि इससे प्रांतीय राजकोष को बड़ी हानि उठानी पड़ी इसलिए अंग्रेजी में बंगाल सरकार के बीच मतभेद शुरू हो गया और 1757 से 1765 के काल अवधि के दौरान बंगाल में अंग्रेजों का वर्चस्व बढ़ता चला गया। और अंग्रेज ने बंगाल के नवाबों को दो निर्णायक युद्ध में परास्त किया।

               सिराजुद्दौला और अंग्रेज :- 

1756 में अलवर्दी खां का मृत्यु हो गया। अलवर्दी खां के कोई पुत्र ना होने के कारण अलवर्दी खां के तीन पुत्रियों में सबसे छोटी पुत्री का पुत्र सिराजुद्दौला को नवाब बनाया गया । सिराजुद्दौला को शासक बनने पर उसका विरोध उसकी मौसी घसीटी बेगम उसका चचेरा भाई शौकतजंग राजबल्लभ मीर जफर आदि लोगों ने किया सिराजुद्दौला ने अक्टूबर 1756 में मनिहारी के युद्ध में शौकतजंग को पराजित कर मार डाला । 

       अंग्रेज और सिराजुद्दोला के मध्य शत्रुता का वास्तविक कारण बंगाल में अपने अपने प्रभाव को स्थापित करना था अंग्रेज ने सिराजुद्दौला के आंतरिक कमजोरी का लाभ उठाकर उसने कोलकाता में किलेबंदी शुरू कर दी एवं उसने सिराज के विरोधी राजबल्लभ के पुत्र कृष्ण दास को शरण दे दी जिससे सिराजुद्दौला नाराज हो जाते है। और अंग्रेजों के मध्य युद्ध छेड़ देते हैं सिराज ने पहले कासिम बाजार और फिर 20 जून 1756 ईस्वी को फोर्ट विलियम पर कब्जा कर लेता है। इस युद्ध में अंग्रेज को बंदी बना कर एक कोठरी में बंद कर दिया गया बचे हुए अंग्रेज ने फूलता द्वीप पर जाकर अपना शरण ले ली। अंग्रेजों को फूलता द्वीप पर शरण लेने की खबर मद्रास पहुंचा तब वहां से एडमिरल वाटसन और कर्नल क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना को मद्रास से बंगाल भेज दिया गया। और फिर अंग्रेज ने 1757 में फिर से कोलकाता पर अपना अधिकार कर लिया और मार्च 1757 में चंद्रनगर पर आक्रमण कर उस पर भी अपना अधिकार कर लेता है।  सिराजुद्दौला इन परिस्थितियों से नहीं निपट पाया तब उसने अलीनगर संधि कर ली।

                    अलीनगर संधि प्लासी युद्ध से पहले बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच फरवरी 1757 में हुई थी।

अंग्रेजों का बंगाल विजय : अलीनगर संधि/ सिराजुद्दौला और अंग्रेज

   इस संधि में निम्नलिखित शर्रते रखी गई। :- 

1) ईस्ट इंडिया कंपनी को मुगल शासक के फरमान के अनुसार कलकत्ता में व्यापार करने की अनुमति दे दी गई।

2) कोलकाता को अधिकार करने में कंपनी को जो हानि हुई उसका हर्जाना बंगाल के नवाब को देना पड़ेगा। 

3) दोनों पक्षों ने भविष्य में शांति बनाए रखने का वादा किया 

4) कलकत्ता में अंग्रेज को सिक्का डालने का अधिकार मिल गया।

              लेकीन अंग्रेज ने इस संधि का अवहेलना किया।और अंग्रेज ने सिराजुद्दौला के सेनापति को प्रलोभन देकर अपने पक्ष में कर लिया।  जिस कारण से 23 जून 1757 का प्लासी का युद्ध आरंभ हो गया


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