Ad Code

1857 की क्रांति : 1857 का विद्रोह की शुरुआत, कारण,दमन, परिणाम

  1857 का विद्रोह , 1857 की क्रांति :- 

                   1857 क्रांति की प्रकृति :- 

 . वी० डी० सावरकर ने 1857 की क्रांति को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी।

 . डॉ एस० एन० सेन ने इसका वर्णन ऐसी लड़ाई से की है जो धर्म के लिए शुरू हुई थी लेकिन स्वतंत्रता के युद्ध पर जाकर खत्म हुई ।

 . ब्रिटिश इतिहासकार के अनुसार यह एक सिपाही विद्रोह था।

                   1857 की क्रांति का शुरुआत :- 

 .. 1857 के विद्रोह के समय भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग थे।

1857 की क्रांति की शुरुआत तब हुई थी जब फरवरी 1857 में यह खबर फैली कि जिन राइफलों (हथियार) का प्रयोग हमलोग करते है, उसका कारतूस गाय और सुअर के चर्बी से बनाया जा रहा है।

.. इस कारण भारतीय सिपाही अपना धर्म खतरे में पाया । 

 .. 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में यह खबर फैला कि भारतीय सिपाही मंगल पांडे दो अंग्रेजी सैनिकों को गोली मारकर चर्बीदार कारतूस का उपयोग करने से मना कर दिया है।

.. यह खबर देश के एक कोने से दूसरे कोने में तेजी से फैलने लगी 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को अंग्रेजों द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई जिसके बाद यह विद्रोह और तेजी से फैलने लगा ।

..1857 क्रांति की वास्तविक शुरुआत 10 मई 1857 को मेरठ से होता है। 

.. मेरठ की सैनिक टुकड़ी अंग्रेजों के शस्त्रागार को लूट कर वहां से भागकर 11 मई 1857 को दिल्ली पहुंचा दिल्ली पहुंचने के बाद उस पर अधिकार कर मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय को अपना नेता मान लिया।

          1857 की क्रांति का प्रमुख कारण :-

1) आर्थिक कारण :- 

 .. औपनिवेशिक भू राजस्व प्रणाली - अंग्रेजों द्वारा जमींदारों एवं किसानों के जमीन हथिया लेने एवं भूमि कर में बढ़ोतरी के कारण किसानों का अंग्रेजों के प्रति आक्रोश बढ़ने लगा । 

 .. भारतीय उद्योग पर संकट - अंग्रेजी उद्योग का प्रोत्साहन मिलने के बाद भारतीय उद्योग विनाश की कगार पर पहुंच गया। हथकरघा और दस्तकारी कर  के बोझ में बंध गए ।

बेरोजगारी -  भारतीय उद्योग के खत्म हो जाने से लोग उद्योग को छोड़कर कृषि की ओर पलायन करने लगे। 

. अंग्रेजों का हस्तक्षेप -  कृषि पर अंग्रेजों के हस्तक्षेप से भारतीय किसान अपनी इच्छा अनुसार फसल नहीं उगा सकते थे जिससे किसानों पर और ज्यादा कर का बोझ बढ़ गया।

 2) राजनीतिक कारण :- 

लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि :- सहायक संधि के अनुसार भारतीय राजाओं ब्रिटिश कंपनी के अधीन होते थे और वह कोई अंग्रेजों के विरुद्ध कोई युद्ध नहीं कर सकते थे।

 . लॉर्ड डलहौजी का व्यक्तिगत संधि :- इस नीति का प्रमुख विशेषता यह था कि जिन शासकों का उत्तराधिकार नहीं होता था वे पुत्र को गोद नहीं ले सकते थे। अर्थात गोद लिए हुए पुत्र को उत्तराधिकार नहीं बना सकते थे।

 .धार्मिक अयोग्यता अधिनियम 1856 :- इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य यह था कि जो साम्राज्य अपना धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म को अपना लेगा कंपनी उसके बच्चे को संपत्ति का वारिस बनने से नहीं रोकेगा ।

 3) प्रशासनिक कारण :- 

. कंपनी द्वारा भारतीय सिपाही खासकर निचले अधिकारी को अंग्रेजों द्वारा भयंकर शोषण करना।

अंग्रेजो का भारतीय विकास पर कोई ध्यान नहीं देना।

 . भारत में ब्रिटिश सैनिक में भारतीय सिपाही का प्रतिशत 87 था लेकिन फिर भी उसे निम्न श्रेणी में रखा जाता था ।

 . 1856 में लॉर्ड कैनिंग ने नया कानून लाया जिसके अनुसार जो व्यक्ति कंपनी के सेना में नौकरी करेगा उससे जरूरत पड़ने पर समुद्र के पार भी जाना पड़ेगा लेकिन भारतीय सिपाही समुद्र के पास जाने पर धर्म भ्रष्ट हो जाने की दृष्टि से देखता था इसलिए वह समुद्र पार जाने से इंकार थे।

1857 की क्रांति : 1857 का विद्रोह का शुरुआत, कारण,दमन, परिणाम,

     4) सामाजिक धार्मिक कारण :- 

. अंग्रेज स्वयं को श्रेष्ठ मानते थे ।

 ईसाई धर्म अपनाने वाले भारतीयों को पदोन्नति की जाती थी।

.  भारतीय दृष्टि से अंग्रेजों द्वारा शुरू किया गया विधवा पुनर्विवाह को भारतीय लोग सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से खतरा मानने लगे।

    5) तत्कालीन कारण  :- 

. ब्रिटिश अधिकारियों एवं भारतीय अधिकारियों को एक समान रूप का पद मिलने के बाद भी ब्रिटिश अधिकारियों को भारतीय अधिकारियों से अधिक वेतन दिया जाता था ।

. गेहूं के आटे में हड्डी का चूरा मिलाने का खबर ।

 .. राइफलो के कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग किए जाने की खबर से भारतीय सिपाही ब्रिटिश हथियार उपयोग करने से मना करने लगे ।

 ..  लॉर्ड कैनिंग द्वारा इसे छुपाने की कोशिश की गई  ।

             लॉर्ड कैनिंग

 . लॉर्ड कैनिंग 1857 की क्रांति के दौरान भारतीय गवर्नर जनरल पद पर था ।

 ..  लेकिन वर्ष 1858 में कैनिंग को भारत का पहला वायसराय बनाया गया ।

 .. लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह को दबाने में सक्षम रहे ।

 भारतीय परिषद अधिनियम 1861 की शुरुआत लॉर्ड कैनिंग द्वारा की गई जिसके तहत भारत में पोर्टफोलियो प्रणाली की शुरुआत की गई ।

. व्यपगत सिद्धांत को लॉर्ड कैनिंग द्वारा वापस ले लिया गया ।

        1857 का विद्रोह के केंद्र :- 

यह विद्रोह पटना से लेकर राजस्थान की सीमा तक फैला हुआ था। विद्रोह के मुख्य केंद्र कानपुर, लखनऊ, बरेली, झांसी, ग्वालियर और बिहार के आरा जिला शामिल था ।

 लखनऊ :-  अवध की राजधानी लखनऊ थी, अवध की पूर्व राजा के बेगमो में एक बेगम हजरत महल ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया था।

 .  कानपुर विद्रोह  :- इस विद्रोह का नेतृत्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र अर्थात गोद लिया हुआ पुत्र नानासाहेब ने किया था ।

.. झांसी :-  झांसी में इस विद्रोह का नेतृत्व लक्ष्मीबाई ने किया था क्योंकि उनके पति की मृत्यु के बाद अंग्रेज उनके दत्तक पुत्र को उत्तराधिकार बनाने से इंकार कर रहे थे ।

. ग्वालियर :-  झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे ने इसका नेतृत्व किया।

1857 की क्रांति : 1857 का विद्रोह का शुरुआत, कारण,दमन, परिणाम

          

1857 की क्रांति का दमन :-

.  20 सितंबर 1857 को अंग्रेजों ने दिल्ली पर फिर से कब्जा कर लिया। और बहादुर शाह द्वितीय को बंदी बनाकर रंगून भेज दिया गया, जहां सन 1862 में उनकी मृत्यु हो गई। 

. दिल्ली के बाद लखनऊ, कानपुर एवं अन्य जगह पर हो रहा इस विद्रोह को भी धीरे-धीरे अंग्रेज कुचलने में सफल रहे।

. और 8 जुलाई 1858 को लौटकर लॉर्ड कैनिंग द्वारा शांति की घोषणा की गई।

         1857 विद्रोह के असफलता का कारण :- 

. सीमित प्रभाव :-  हालाकी यह विद्रोह काफी व्यापक था लेकिन देश के एक बड़ा हिस्सा इससे अप्रभावित रहा उदाहरण के लिए हैदराबाद, मैसूर, सिंध, कश्मीर, पंजाब एवं दक्षिणी हिस्सा।

. बहादुर शाह जफर आर्थिक दृष्टि से काफी कमजोर हो चुके थे इसलिए वह इस क्रांति का नेतृत्व करने में असमर्थ रहे।

 .. भारतीय सिपाहियों के पास हथियारों का अभाव था ।

 .. कई बड़े जमींदारों द्वारा अंग्रेजों का समर्थन मिला।

 . शिक्षित भारतीय का बड़ा हिस्सा इस युद्ध में भाग नहीं लिया। 

         विद्रोह का परिणाम :-

यह विद्रोह भारत में ब्रिटिश कंपनी के शासन के अंत का कारण बना ।

. भारत के गवर्नर जनरल पद को हटाकर वायसराय के पद में स्थानांतरित कर दिया गया।

व्यपगत सिद्धांत को समाप्त कर दिया गया ।

. भारतीय शासकों के अधिकारों की मान्यता दी गई।

अंग्रेजों ने यह वायदा किया कि वह भारत के लोगों का धर्म एवं रीति-रिवाजों का सम्मान करेंगे।

जनजाति (आदिवासी) विद्रोह : मुख्य कारण और महत्वपूर्ण विद्रोह Link :- ⬇️⬇️

https://www.missionupsce.in/2021/07/--.html

अंग्रेजों का बंगाल विजय : अलीनगर संधि/ सिराजुद्दौला और अंग्रेज Link :- ⬇️⬇️

https://www.missionupsce.in/2021/05/British-conquest-of-Bengal.html

https://www.missionupsce.in/2021/03/mugal-samrajya.html

मुगल साम्राज्य short notes (Important for upsc prelims &  mains )

Link :- ⬇️⬇️

https://www.missionupsce.in/2021/03/mugal-samrajya.html

follow me :-

https://www.facebook.com/Mission-Upsc-102484551894208/
https://t.me/upscmagazinee

Join telegram for more UPSC magazines and daily current affairs (ONLY HINDI MEDIUM)

Join telegram channel for yojana kurukshetra magazines (योजना कुरूक्षेत्र)

https://t.me/Yojanakurukshetramag

1857 की क्रांति : 1857 का विद्रोह का शुरुआत, कारण,दमन, परिणाम 

1857 की क्रांति : 1857 का विद्रोह का शुरुआत, कारण,दमन, परिणाम 

1857 की क्रांति : 1857 का विद्रोह का शुरुआत, कारण,दमन, परिणाम 

1857 का विद्रोह , 1857 की क्रांति , 1857 की क्रांति के क्या परिणाम हुए,1857 के विद्रोह के क्या कारण थे, 1857 ki krandi, 1857 ka bidroh,

Post Navi

Post a Comment

0 Comments