पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem)
परिचय
पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) एक ऐसा जटिल और परस्पर जुड़ा हुआ तंत्र है, जिसमें जैविक घटक (जैसे- पादप, प्राणी, सूक्ष्मजीव) और अजैविक घटक (जैसे- जल, मृदा, वायु, तापमान, प्रकाश आदि) एक-दूसरे के साथ निरंतर अंत:क्रिया करते हैं। यह तंत्र एक संतुलित व्यवस्था बनाए रखता है, जहाँ ऊर्जा का प्रवाह और पोषक तत्त्वों का चक्रण होता रहता है। इस पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में सभी घटकों की अपनी विशेष भूमिका होती है।
पारिस्थितिकी तंत्र की परिभाषा
यूजीन ओडम के अनुसार, “पारिस्थितिकी तंत्र जीवधारियों और उनके भौतिक पर्यावरण के बीच परस्पर क्रिया की एक इकाई है।”
सामान्य भाषा में कहें तो, पारिस्थितिकी तंत्र वह इकाई है जहाँ जैविक और अजैविक घटक मिलकर जीवन को बनाए रखते हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र के घटक (Components of Ecosystem)
1. जैविक घटक (Biotic Components)
ये वे जीवित घटक हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र में जीवन और ऊर्जा के प्रवाह के लिए उत्तरदायी होते हैं। इन्हें तीन भागों में बाँटा जा सकता है:
क. उत्पादक (Producers):
ये जीव अकार्बनिक पदार्थों (जैसे- जल, कार्बन डाइऑक्साइड) से प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं।
उदाहरण: हरे पादप, शैवाल, फाइटोप्लैंकटन।
ख. उपभोक्ता (Consumers):
ये जीव सीधे या परोक्ष रूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं।
चार श्रेणियाँ:
प्राथमिक उपभोक्ता (शाकाहारी जैसे गाय, हिरण)
द्वितीयक उपभोक्ता (मांसाहारी जैसे मेंढक, सर्प)
तृतीयक उपभोक्ता (शक्तिशाली मांसाहारी जैसे बाज, शेर)
परपोषी/परजीवी (जैसे जूँ, जोंक)
ग. अपघटक (Decomposers):
ये मृत जीवों और अपशिष्ट पदार्थों को विघटित कर पोषक तत्त्वों को मृदा में मिलाते हैं।
उदाहरण: जीवाणु, कवक।
2. अजैविक घटक (Abiotic Components)
ये वे गैर-जीवित घटक हैं जो जीवन के लिए आवश्यक भौतिक और रासायनिक आधार प्रदान करते हैं:
प्रकाश
जल
वायुमंडलीय गैसें (CO₂, O₂)
तापमान
मृदा
लवण
पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार (Types of Ecosystem)
1. प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र (Natural Ecosystems)
क. स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Terrestrial Ecosystem):
वन: जैव विविधता से भरपूर। जैसे- उष्णकटिबंधीय वर्षा वन, शंकुधारी वन।
घास के मैदान: अफ्रीका के सवाना, भारत के तराई क्षेत्र।
मरुस्थल: कम वर्षा, उच्च तापमान। जैसे- थार।
ख. जल पारिस्थितिकी तंत्र (Aquatic Ecosystem):
मीठा जल: झीलें, नदियाँ, तालाब।
लवणीय जल: समुद्र, खाड़ी।
दलदली पारिस्थितिकी तंत्र: अर्ध-स्थलीय व जलाशय का मिश्रण।
2. कृत्रिम पारिस्थितिकी तंत्र (Artificial Ecosystem)
मानव द्वारा बनाए गए। जैसे:
खेत
बगीचे
जलाशय
एक्वैरियम
पारिस्थितिकी तंत्र की कार्यप्रणाली (Functioning of Ecosystem)
1. ऊर्जा प्रवाह (Energy Flow):
सूर्य से प्राप्त ऊर्जा पादपों द्वारा भोजन निर्माण में प्रयुक्त होती है।
यह ऊर्जा खाद्य श्रृंखला के माध्यम से उपभोक्ताओं तक स्थानांतरित होती है।
ऊर्जा एक दिशा में प्रवाहित होती है और धीरे-धीरे कम होती जाती है।
2. पोषक चक्र (Nutrient Cycles):
यह पोषक तत्त्वों का पुनर्चक्रण है जो पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बनाए रखता है।
मुख्य चक्र:
कार्बन चक्र
नाइट्रोजन चक्र
जल चक्र
फास्फोरस चक्र
3. खाद्य श्रृंखला और जाल (Food Chain & Web):
खाद्य श्रृंखला: एक सरल मार्ग जिसमें ऊर्जा प्रवाह का क्रम होता है। जैसे- घास → हिरण → शेर।
खाद्य जाल: अनेक खाद्य श्रृंखलाओं का जाल जो पारिस्थितिकी तंत्र में स्थिरता बनाए रखता है।
पारिस्थितिकी तंत्र का महत्त्व (Importance of Ecosystem)
जैव विविधता का संरक्षण
संसाधनों का पुनः उपयोग
जलवायु संतुलन बनाए रखना
प्रदूषण नियंत्रण
कृषि और औद्योगिक उपयोग के लिए कच्चे माल की आपूर्ति
पारिस्थितिक सेवाएँ (जैसे- परागण, मृदा निर्माण, जल शुद्धिकरण)
पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन के कारण (Causes of Imbalance in Ecosystem)
वनों की कटाई
प्रदूषण (जल, वायु, मृदा)
अधिक जनसंख्या
अत्यधिक शिकार और मछली पकड़ना
शहरीकरण और औद्योगिकीकरण
जलवायु परिवर्तन और ग्रीनहाउस प्रभाव
मानव और पारिस्थितिकी तंत्र (Man and Ecosystem)
मानव ने तकनीकी प्रगति से पारिस्थितिकी तंत्र को कई रूपों में क्षति पहुँचाई है, लेकिन अब पुनः संरक्षण की ओर भी कार्य हो रहे हैं:
हरित तकनीक का विकास
पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन
पर्यावरणीय शिक्षा
जैव आरक्षित क्षेत्र और राष्ट्रीय उद्यान
पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के उपाय (Conservation of Ecosystem)
वृक्षारोपण और वनों का संरक्षण
प्रदूषण की रोकथाम
स्थायी विकास को अपनाना
पारिस्थितिकी शिक्षा का प्रचार
जैव विविधता को बचाना
जल स्रोतों की रक्षा
भारत में पारिस्थितिकी तंत्र का परिदृश्य
भारत में विविध भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के कारण कई प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र पाए जाते हैं:
हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र
गंगा का मैदानी पारिस्थितिकी तंत्र
पश्चिमी घाट
सुंदरबन (दलदली पारिस्थितिकी तंत्र)
थार मरुस्थल
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह
निष्कर्ष (Conclusion)
पारिस्थितिकी तंत्र पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व की मूलभूत संरचना है। यह सभी जीवों को ऊर्जा, पोषण और पर्यावरण प्रदान करता है। इसका संतुलन मानव सहित समस्त जैव विविधता के लिए अनिवार्य है। आज जब पारिस्थितिकी तंत्र प्रदूषण, शहरीकरण, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों से जूझ रहा है, तब उसका संरक्षण प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य बनता है। हमें प्रकृति के साथ सहअस्तित्व को समझते हुए उसका सम्मान और संरक्षण करना चाहिए
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