नदी अपवाह तंत्र पर विस्तृत विवरण
परिचय:
गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र, धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण नदी है। यह न केवल भारत की पहचान है, बल्कि करोड़ों लोगों की जीवनरेखा भी है। गंगा नदी का अपवाह तंत्र भारत का सबसे विशाल और समृद्ध अपवाह तंत्र है, जो हिमालय, गंगा के मैदानी भाग और प्रायद्वीपीय भारत को जोड़ता है। इसमें कई प्रमुख और गौण सहायक नदियाँ सम्मिलित हैं जो उत्तर, पूर्व और मध्य भारत के भूगोल और पारिस्थितिकी को प्रभावित करती हैं।
गंगा नदी का उद्गम एवं मार्ग
गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड राज्य के गंगोत्री ग्लेशियर से होता है, जहाँ इसे "भागीरथी" नाम से जाना जाता है। भागीरथी नदी और अलकनंदा नदी का संगम देवप्रयाग में होता है, जिसके बाद इसे "गंगा" कहा जाता है।
गंगा नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है, जहाँ इसे "पद्मा" कहा जाता है। अंततः यह बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 2525 किलोमीटर है।
गंगा अपवाह तंत्र की विशेषताएं
क्षेत्रफल – गंगा अपवाह तंत्र का कुल क्षेत्रफल लगभग 10,86,000 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के कुल क्षेत्रफल का एक बड़ा भाग है।
राज्य – यह अपवाह तंत्र भारत के 11 राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल) और नेपाल के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।
प्रवाह दिशा – गंगा सामान्यतः पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।
मुख्य क्षेत्र – इसका अधिकांश भाग गंगा के मैदान में आता है, जो अत्यंत उपजाऊ है और भारत का कृषि क्षेत्र है।
गंगा की प्रमुख सहायक नदियाँ
गंगा नदी की सहायक नदियों को दो भागों में बाँटा जाता है –
1. बाईं ओर की सहायक नदियाँ (Left Bank Tributaries)
ये नदियाँ प्रायः नेपाल और उत्तरी बिहार की ओर से आती हैं।
(i) घाघरा नदी (Ghaghara River):
यह गंगा की सबसे बड़ी बाएँ किनारे की सहायक नदी है।
इसका उद्गम तिब्बत में होता है, जहाँ इसे "मापचू खंबा" कहा जाता है।
यह नेपाल से होकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और छपरा के पास गंगा में मिल जाती है।
इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ: सरयू, राप्ती।
(ii) कोसी नदी (Kosi River):
इसे ‘बिहार की शोक’ भी कहा जाता है।
इसका उद्गम तिब्बत के उत्तर में होता है।
यह नेपाल में कई धाराओं से मिलती है और सुपौल जिले के पास भारत में प्रवेश करती है।
यह सहरसा और खगड़िया के पास गंगा में मिलती है।
(iii) गंडक नदी (Gandak River):
यह नेपाल के धौलागिरी पर्वत से निकलती है।
यह बेतिया के पास बिहार में प्रवेश करती है और हाजीपुर के पास गंगा में मिलती है।
प्रमुख सहायक नदियाँ: बूढ़ी गंडक, छोटी गंडक।
(iv) रामगंगा नदी (Ramganga River):
इसका उद्गम कुमाऊँ क्षेत्र के गढ़वाल हिमालय से होता है।
यह मुरादाबाद, बदायूं, शाहजहाँपुर होते हुए कन्नौज के पास गंगा में मिलती है।
2. दाईं ओर की सहायक नदियाँ (Right Bank Tributaries)
ये नदियाँ प्रायः मध्य भारत के पठारी क्षेत्रों से निकलती हैं।
(i) यमुना नदी (Yamuna River):
यह गंगा की सबसे बड़ी दाहिनी सहायक नदी है।
इसका उद्गम यमुनोत्री ग्लेशियर से होता है।
दिल्ली, मथुरा, आगरा, इटावा होते हुए प्रयागराज में गंगा से मिलती है।
इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं:
चम्बल नदी: मध्य प्रदेश में महू से निकलती है। कोटा, धौलपुर होते हुए यमुना से मिलती है।
सिंध, क्वारी, बेतवा, केन: ये बुंदेलखंड क्षेत्र की पठारी नदियाँ हैं।
(ii) सोन नदी (Son River):
इसका उद्गम मध्य प्रदेश के अमरकंटक पठार से होता है।
यह उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती हुई बिहार के डिहरी-ऑन-सोन के पास गंगा से मिलती है।
यह लगभग 780 किमी लंबी है।
(iii) पुनपुन नदी:
यह झारखंड के पलामू जिले से निकलती है और पटना के पास गंगा में मिलती है।
गंगा का डेल्टा और प्रवाह का अंतिम भाग
गंगा नदी का अंतिम भाग भारत और बांग्लादेश के सीमा क्षेत्र में आता है, जहाँ यह ब्रह्मपुत्र नदी से मिलकर विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा बनाती है – सुंदरबन डेल्टा।
सुंदरबन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है।
यहाँ की प्रमुख शाखाएँ हैं – हुगली (भारत में), पद्मा, जमुना, मेघना (बांग्लादेश में)।
महत्वपूर्ण नगर जो गंगा के किनारे बसे हैं
ऋषिकेश
हरिद्वार
कानपुर
प्रयागराज
वाराणसी
पटना
भागलपुर
कोलकाता
गंगा अपवाह तंत्र का आर्थिक और सामाजिक महत्व
कृषि – गंगा का मैदान भारत की सबसे उपजाऊ भूमि है। गेहूं, धान, गन्ना जैसी फसलें यहाँ प्रमुख हैं।
जल आपूर्ति – करोड़ों लोग पीने, सिंचाई और घरेलू उपयोग के लिए गंगा जल पर निर्भर हैं।
पर्यटन – हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों पर पर्यटन की बड़ी संभावनाएँ हैं।
परिवहन – गंगा पर कई जल परिवहन परियोजनाएँ चल रही हैं, जैसे नेशनल वॉटरवे-1।
पारिस्थितिकी – गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल और कई जलजीव गंगा में पाए जाते हैं।
गंगा प्रदूषण एवं संरक्षण के प्रयास
गंगा में बढ़ता प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। मुख्य कारण हैं –
घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट
धार्मिक अवशेषों का विसर्जन
नालों का सीधा प्रवाह
सरकारी प्रयास
गंगा एक्शन प्लान (1985) – गंगा को साफ करने की पहली बड़ी योजना।
नमामि गंगे मिशन (2014) – एकीकृत और आधुनिक स्तर पर सफाई का प्रयास।
राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजना – गंगा को परिवहन योग्य बनाना।
नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम – गंगा की सहायक नदियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास।
गंगा अपवाह तंत्र और जलवायु प्रभाव
गंगा का अपवाह तंत्र जलवायु परिवर्तन से अत्यधिक प्रभावित है।
ग्लेशियरों के पिघलने से बहाव में अनियमितता
वर्षा का असंतुलन
बाढ़ और सूखे की घटनाओं में वृद्धि
निष्कर्ष
गंगा नदी अपवाह तंत्र केवल एक जल प्रणाली नहीं है, यह भारत की आत्मा है। यह कृषि, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी का आधार है। इसकी सहायक नदियाँ मिलकर एक व्यापक और जीवनदायिनी प्रणाली बनाती हैं। समय की मांग है कि हम गंगा और इसकी सहायक नदियों के संरक्षण में अपना योगदान दें, ताकि यह अगली पीढ़ियों के लिए भी जीवनदायिनी बनी रहे।
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