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    उष्णकटिबंधीय चक्रवात और शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात का तुलनात्मक अध्ययन (Comparative Study of Tropical Cyclones and Temperate Cyclones)


  परिचय

                पृथ्वी का वायुमंडल निरंतर गतिशील है और इसमें उत्पन्न होने वाले विभिन्न प्रकार के मौसमीय तंत्रों में से चक्रवात अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। चक्रवात, वायुमंडलीय निम्न दाब क्षेत्रों के चारों ओर घूमती हुई हवाओं की एक प्रणाली है। चक्रवात दो प्रमुख प्रकारों में विभाजित होते हैं:

   उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)

  शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate Cyclones)

    इन दोनों प्रकार के चक्रवातों का स्वरूप, उत्पत्ति, संरचना, प्रभाव और व्यवहार अलग-अलग होता है। इस लेख में इन दोनों प्रकार के चक्रवातों का विस्तारपूर्वक वर्णन और तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।


  1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)

  परिभाषा

             उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र निम्न दाब प्रणाली है जो समुद्रों की गर्म सतहों पर विकसित होता है और यह तीव्र हवाओं, भारी वर्षा, तथा अत्यधिक विनाशकारी प्रभावों के लिए जाना जाता है। इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न नामों से जाना जाता है:

    हिंद महासागर में – चक्रवात (Cyclone)

    अटलांटिक महासागर में – हरिकेन (Hurricane)

    पश्चिमी प्रशांत महासागर में – तूफान (Typhoon)

    उत्पत्ति की परिस्थितियाँ

    उष्णकटिबंधीय चक्रवात के निर्माण हेतु आवश्यक शर्तें:

    समुद्र की सतह का तापमान 26.5°C या उससे अधिक

    Corriolis बल की उपस्थिति (समतलीय रेखा के पास नहीं बनते)

    उच्च आर्द्रता और गहराई तक गर्म वाष्प युक्त हवा

    उपरी वायुमंडल में उच्च वायुदाब या प्रतिकूल पवन कटाव का अभाव

    वायुमंडल में कुछ विक्षोभ (disturbance) जो विकास को प्रेरित करे

  संरचना

    नेत्र (Eye) – केंद्र में शांत क्षेत्र, व्यास लगभग 20–50 किमी

    नेत्र की दीवार (Eyewall) – तीव्रतम हवाओं और वर्षा वाला भाग

    वर्षा पट्टियाँ (Rain Bands) – नेत्र के चारों ओर फैली सर्पिल वृष्टि क्षेत्र

  गतिशीलता

      ये आमतौर पर पूर्व से पश्चिम दिशा में चलते हैं और उसके बाद वायुदाब व धरातलीय प्रभाव के कारण उत्तर या उत्तर-पूर्व की ओर मुड़ते हैं।

  प्रभाव

    तेज हवाएं, मूसलधार वर्षा, तूफानी लहरें (Storm Surges)

    तटीय क्षेत्रों में बाढ़, फसल नाश, विकास ढांचे का विनाश, मानव हानि

  उदाहरण

    1999 का ओडिशा सुपर साइक्लोन

    2020 का अम्फान चक्रवात

    2021 का यास चक्रवात


  2. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate Cyclones)

  परिभाषा

            शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात या अग्र चक्रवात (frontal cyclones), विक्षोभ (depressions) वे निम्न दाब प्रणालियाँ हैं जो शीतोष्ण अक्षांशों (35° से 65°) में बनती हैं, जहाँ गर्म और ठंडी हवाओं का मिलन होता है। ये हवाएं पृथ्वी की सतह पर परस्पर विपरीत दिशाओं से चलती हैं और इनके बीच का अंतराल एक अग्र रेखा (Front) बनाता है।

  उत्पत्ति की परिस्थितियाँ

    वायुदाब और तापमान का तीव्र अंतर

    ध्रुवीय और उष्णकटिबंधीय वायु के मिलन क्षेत्र (Polar Front Theory)

    जेट स्ट्रीम द्वारा प्रेरित

    पर्याप्त आर्द्रता

    Coriolis बल की उपस्थिति

  संरचना

    केंद्र में निम्न दाब क्षेत्र

    एक ओर गर्म अग्र (Warm Front) और दूसरी ओर ठंडा अग्र (Cold Front)

    गर्म अग्र के साथ हल्की वर्षा और ठंडे अग्र के साथ तीव्र वर्षा

    चक्रवात के दोनों ओर विपरीत दिशाओं में घूमती हवाएं (घड़ी की विपरीत दिशा में उत्तरी गोलार्ध में)

  गतिशीलता

    ये पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते हैं

    इनकी जीवनावधि लगभग 5–7 दिन होती है

    यह भूमध्यरेखा के निकट नहीं आते

  प्रभाव

    वर्षा, बर्फबारी, तूफानी हवाएं, तापमान में परिवर्त

    खेती, परिवहन, और सामान्य जनजीवन प्रभावित होता है

  उदाहरण

    पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) – जो उत्तर भारत में सर्दियों में वर्षा व हिमपात लाते हैं

    यूरोप और उत्तरी अमेरिका में शीतकालीन तूफान


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  भारत में इन चक्रवातों का महत्व

  उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का भारत पर प्रभाव

    विशेषकर पूर्वी तटीय क्षेत्र (ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु) चक्रवातों से बार-बार प्रभावित होते हैं।

    कृषि, मत्स्यपालन, परिवहन और निवास क्षेत्रों को भारी नुकसान होता है।

    बंगाल की खाड़ी उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का प्रमुख उत्पत्ति क्षेत्र है।

    शीतोष्ण चक्रवातों का भारत पर प्रभाव

    पश्चिमी विक्षोभ – भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों (जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश) में सर्दियों की वर्षा और हिमपात का प्रमुख स्रोत

    यह रबी फसलों जैसे गेहूं के लिए लाभकारी होते हैं


  चक्रवातों से निपटने की रणनीतियाँ

  पूर्व चेतावनी तंत्र

    मौसम विभाग द्वारा सैटेलाइट आधारित निगरानी

    IMD (Indian Meteorological Department) की चक्रवात चेतावनी प्रणाली

    आपदा प्रबंधन

    आपदा राहत बल (NDRF) की तैनाती

    तटीय क्षेत्रों में चक्रवात आश्रय गृहों का निर्माण

    समुद्र तटीय वृक्षारोपण (मैंग्रोव) द्वारा प्राकृतिक रक्षण

    लंबी अवधि की रणनीति

    तटीय क्षेत्र नियोजन में चक्रवात जोखिमों को ध्यान में रखना

    लोगों में जागरूकता और प्रशिक्षण

    वैज्ञानिक अनुसंधान व मौसम पूर्वानुमान तकनीकों का उन्नयन


निष्कर्ष

                उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण चक्रवात, दोनों ही पृथ्वी के मौसमीय तंत्र के अत्यंत महत्वपूर्ण अंग हैं। यद्यपि दोनों के निर्माण की परिस्थितियाँ, संरचना और प्रभाव अलग-अलग होते हैं, किन्तु दोनों ही मानव जीवन और प्राकृतिक पारिस्थितिकी पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

    जहाँ उष्णकटिबंधीय चक्रवात विनाशकारी हवाओं और तूफानी लहरों के लिए जाने जाते हैं, वहीं शीतोष्ण चक्रवात मुख्य रूप से वृष्टि और हिमपात के वाहक होते हैं।

    इनसे प्रभावी रूप से निपटने के लिए वैज्ञानिक, तकनीकी, सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर एक समन्वित दृष्टिकोण आवश्यक है


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