Facebook SDK

    मनोरंजन आधारित नाट्यकला ( भारत के उत्तर , पश्चिमी तथा पूर्वी भागों की )

      नाट्यकला की यह विधा वर्णन तथा कथा वाचन में अधिक पंथ - निरपेक्ष थी । यह मुख्यतः , प्रेम , शोर्य तथा सामाजिक - सांस्कृतिक परम्पराओं पर आधारित कहानियां होती थीं तथा उनका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जन का मनोरंजन था । 

               भवई 

पवई मुख्य रूप से राजस्थान में प्रचलित एक लोकप्रिय लोक नाट्यकला है । इस विधा में लघु नाटकों की श्रृंखला का वर्णन करने के लिए नृत्य का व्यापक प्रयोग किया जाता है । इस नाटक का केन्द्रीय भाव . सामान्यतः , रूमानी ( प्रेम प्रसंग युक्त ) होता है । इसमें कलाकार मिट्टी के बर्तनों या पीपल के अनेकों घड़ों को संतुलित करते हैं । इस नाटक में झांझर और ढोलक जैसे वाद्य यंत्रों का प्रयोग कर अनोखी लोक शैली में बजाए जाने वाले अर्द्धशास्त्रीय संगीत का समावेश होता है । भवई नाट्यकला में सूत्रधार को ' नायक ' के नाम से जाना जाता है ।

                 दसकठिया

 दसकठिया ओडिशा को लोकप्रिय लोक नाट्यकला की एक विधा है । इस विधा में, दो कथावाचक होते हैं गायक, जो मुख्य गायक होता है , तथा ; ' पालिया ' , जो सह - कथा - वाचक होता है । कथा वर्णन के साथ साथ नाटकीय संगीत की जुगलबंदी चलती है , जिसे कठिया नामक एक लकड़ी के बने वाद्य यंत्र की सहायता से उत्पन्न किया जाता है । यह मुख्यत : भगवान शिव को समर्पित हैं । इस विधा का एक सन्निकट रूपांतर है चैती घोड़ा जिसमें दो वाहा यंत्रों - ढोल तथा मोहरी - तथा तीन कथावाचकों का प्रयोग किया जाता है ।

               गरोडा 

  यह गुजरात के ' गरोडा ' ब्राह्मण सम्प्रदाय को एक लोकप्रिय कला विधा है । इसमें रूमानियत तथा वीरता की कहानी का वर्णन करने के लिए रंगीन तस्वीरों का प्रयोग किया जाता है । 

                 जात्रा 

जात्रा पूर्वी भारत की एक लोकप्रिय लोक नाट्यकला है । यह एक मुक्ताकाश ( खुले मैदान में ) प्रस्तुति होती है जिसे वैष्णव संत चैतन्य महाप्रभु द्वारा आरम्भ किया गया था । ग्रामीण बंगाल में अपनी यात्राओं के दौरान उन्होंने भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए जात्रा के माध्यम का प्रयोग किया । बाद में , इसके राम जात्रा , शिव जात्रा तथा चंडी जात्रा जैसे रूपांतर भी अस्तित्व में आये जिनमें पौराणिक व्याख्यानों से ली गयी कहानियां सुनाई जाती हैं । 

          आधुनिक समय में , जात्रा का उपयोग पंथ - निरपेक्ष , ऐतिहासिक तथा देशभक्तिपूर्ण केन्द्रीय भावों वाली कहानियों का वर्णन करने में किया जाता है । ओडिशा में सही जात्रा नामक एक लोकप्रिय मोहल्ला नाट्यकला प्रचलित है ।

                  करियइला

 यह मुक्त आकाश ( खले मैदान मे ) नाट्यकला का एक अन्य रूप है , जो हिमाचल प्रदेश के तराई क्षेत्रों में लोकप्रिय है । सामान्यतः ग्राम्य मेलों तथा त्योहारों के समय मंचित यह प्रस्तुति रात्रि में की जाती है तथा इसमें नाटिकाओं तथा प्रहपनों की एक शृंखला होती है । 

                    माँच 

   माँच मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र की लोक नाट्यकला है । प्रारम्प में पौराणिक कथाओं जैसे महाभारत तथा रामायण प आधारित थी । बाद में , इसके रंगपटल में , रूमानो लोक कथाओं को सम्मिलित कर दिया गया । इस विधा की अनोखी विशेषता इसके संवाद होते हैं , जिन्हें रंगत दोहा नामक दोहों के रूप में कहा जाता है । 

                    नौटंकी 

  स्वांग की एक शाखा , नौटंकी उत्तर भारत की सर्वाधिक लोकप्रिय नाट्यकला विधा है जिसकी चर्चा अबुल फजल की पुस्तक ' आइन - ए - अकबरी ' में मिलती है । ये नाटक ऐतिहासिक , सामाजिक तथा लोक कथाओं के इर्द - गिर्द बुने जाते हैं . तथा इन्हें नृत्य और संगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है । संवादों को गीतिकाव्य शैली में नगाड़ा नामक ढोल की ताल पर प्रस्तुत किया जाता है । बाद की अवधि में कानपुर तथा लखनऊ के आस - पास स्थित नौटंकी की दो शैलियों को प्रमुखता प्राप्त हुई ।

                   ओजापाली 

ओजापाली असम की एक अनोखी वर्णनात्मक नाट्यकला विधा है जो प्रारम्भिक रूप से मंशा देवी या नाग देवी के पर्व से संबंधित है । इसका कथा वाचन एक लम्बी प्रक्रिया है , जिसके तीन भिन्न भाग होते हैं बनिया खड , भटियाली खंड तथा देव खंड । औजा मुख्य कथा वाचक तथा पाली सह - गान के सदस्य होते हैं । 

                    पोवड

   शिवाजी द्वारा अपने शत्रु अफजल खान को दिए जाने के बाद शिवाजी की वीरता की प्रशंसा में एक नाटक की  रचना की गयीं . जिसे बाद में पोवड कहा गया । ये स्वांगसश गीतिकाव्य हैं , जो शौर्य की कहानियां कहते हैं । इन्हें गांधालिस तथा शहर का नाम से पहचाने जाने वाले लोक संगीतकारों के द्वारा गाया जाता है । यह मुख्यतः . महाराष्ट्र क्षेत्र में लोकप्रिय है ।

                    स्वांग

    स्वाग राजस्थान तथा हरियाणा क्षेत्रों में मनोरजन का एक अन्य लोकप्रिय स्रोत है । मुख्य रूप से ये छंदों के माध्यम से गाये जाने वाले तथा एकतारा , हारमोनियम . सारंगी , ढोलक तथा खरतात जैसे वाद्य - यत्रों की सहायता से प्रस्तुत संगीतमय नाटक होते हैं । इसमें डायलॉग के साथ मिमिक्री ( नकल ) भी शामिल है । 

                      तमाशा

      हास्व - रस तथा कामोत्तेजक भावों के लिए प्रसिद्ध , तमाशा महाराष्ट्र क्षेत्र की एक लोक नाट्यकला है । इसकी अनोखी विशेषता महिला अभिनेत्रियों की उपस्थिति है जो पुरुषों की भूमिकाए भी निभाती हैं । तमाशा प्रस्तुतियों में सामान्यतः , लावणी गीतों का समावेश होता है ।

                   भांड पाथेर

         यह जम्मू कश्मीर की लोक नाट्यकला है । इसमें समकालीन सामाजिक व्यंग्य या पौराणिक कथाएं भी हो सकती हैं । यद्यपि इसका मंचन मुस्लिमों द्वारा किया जाता है . लेकिन इसका दृष्टिकोण धर्मनिरपेक्ष होता है । इसमें संगीत , नृत्य और नाटक होता है ।

                भाओना

        यह असम , विशेषकर माजुली द्वीप की लोक नाट्यकला है । इसका उद्देश्य लोगों के बीच मनोरंजन और नाटक के माध्यम से धार्मिक और नैतिक संदेश प्रसारित करना है । यह सामान्यतः अंकिया नाट और वैष्णव प्रसंगों की प्रस्तुति है । सूत्रधार ( कथावाचक ) नाटक का वर्णन करता है और पवित्र ग्रन्थों से छंद गाता है । गीत और संगीत भी इसके प्रमुख अंग हैं । इसे 16 वीं शताब्दी की शुरूआत में शंकरदेव द्वारा विकसित किया गया था । 

               दशावतार 

       यह कोंकण क्षेत्र के किसानों , विशेषरूप से सिंधुदुर्ग ( महाराष्ट्र ) और उत्तरी गोवा के नाटकों का एक लोकप्रिय रूप है । इसके द्वारा भगवान विष्णु के दस अवतारों को सम्मान दिया जाता है । इसके दो भाग होते है - ' पूर्व - रंग ' ( आरंभिक भाग ) और ' उत्तर रंग ' ( दूसरा भाग ) । दूसरा सत्र ही प्रमुख भाग होता है और यह पौराणिक कथाओं पर आधारित होता है ।


भवई,दसकठिया,गरोडा, जात्रा, करियइला, माँच, नौटंकी ,तमाशा, भांड पाथेर, ओजवाली(bhawai, nautanki, jatra, tamasha , please, dashawar, ojawali, bhand,)


     follow me :-

https://www.facebook.com/Mission-Upsc-102484551894208/

https://t.me/upscmagazinee

Join telegram for more UPSC magazines and daily current affairs (ONLY HINDI MEDIUM)

Join telegram channel for yojana kurukshetra magazines (योजना कुरूक्षेत्र)

https://t.me/Yojanakurukshetramag 

Post a Comment

Previous Post Next Post