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               आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिक या भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिक का आधारभूत ढांचा ?


      भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिक के प्राचीन काल के महान उपलब्धियों से लेकर आधुनिक काल के महान सफलताओं में विज्ञान की प्रमुख भूमिका रही है आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के चर्चा करें तो तो हमारा विज्ञान ब्रिटिश काल के दौरान पटना विकसित नहीं था जितना पिछले 4 दशक में हुआ है जिससे दूसरे देशों पर निर्भरता घटी है। यांत्रिकी क्षेत्र में हमारा विज्ञान बहुत तेजी से बढ़ता चला जा रहा है इसके अतिरिक्त भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास-क्रम को उद्योग, कृषि, चिकित्सा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष ,संचार ,परिवहन रक्षा इत्यादि क्षेत्रों में बखूबी पूर्वक देखा जा सकता है।

             उद्योग क्षेत्र को भारत सरकार द्वारा लगातार विकसित किया जा रहा है CSIR( वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद) DRDO( रक्षा अनुसंधान विकास संगठन) क्षेत्र में लगातार काम कर रही है जिससे रसायनों मशीनों औषधियों खाद्य तकनीकी में सफलता हासिल हुई है।

                      अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत विश्व के अग्रणी देशों की सूची में आता है इसका शुरुआत सन 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद के गठन से सफल हो पाया 1969 में गठित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) ने इस क्षेत्र में एक नई उपलब्धियां हासिल की और करता जा रहा है।

            नाभिकीय ऊर्जा में भारत की उपलब्धि शानदार रही है 1948 में नेहरू ने कहा था कि भविष्य उनका है जो परमाणु ऊर्जा से युक्त है। यह कथन परमाणु ऊर्जा के महत्व को दर्शाता है डॉ० होमी जहांगीर के अथक प्रयासों के बाद सन 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन हुआ।

          कृषि क्षेत्र में भी भारत ने काफी प्रगति की है, आज भी भारतीय जनसंख्या के आधी आबादी कृषि पर आधारित है डॉक्टर बी.पी. पॉल और डॉ० नॉर्मन बोरलॉग के प्रयासों से हरित क्रांति ने देशों को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है।

   कहीं संस्थागत प्रतिष्ठानों ने अपने अनुसंधान के जरिए हमारे देश के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक ढांचा को मजबूत बनाया है जिसमें कुछ प्रमुख संस्थान का नाम निम्नलिखित है। 

• वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् ( CSIR )

 • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ( ICAR )

 • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् ( ICMR ) 

      इसके अतिरिक्त विभिन्न मंत्रालयों / विभागों के अधीन प्रयोगशालाएँ हैं , जैसे -

 • परमाणु ऊर्जा विभाग

 • महासागर विकास विभाग

 • इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग

 • अंतरिक्ष विभाग


1 वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद(CSIR) :- 

 • वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान का एक सबसे बड़ा संस्थान है । 

 • जिसकी स्थापना सन 1942 ईस्वी में हुई थी इसका संचालन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा होता है। 

 • इसका पंजीकरण सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1807 के अंतर्गत हुआ था।

•  CSIR रेडियो, अंतरिक्ष, उद्योग, महासागर विभाग, रसायन,औषधि, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्र में व्यापक रूप से कार्य कर रहा है। 

 • सीएसआईआर प्रतिवर्ष औसतन लगभग 200 भारतीय पेटेंट और 250 विदेशी पेटेंट फाइल करता है सीएसआईआर के लगभग 13.86% पेटेंट को लाइसेंस प्राप्त है जो वैश्विक औसत से अधिक है।


   2 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद(ICAR) :-


• भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को दी इंपीरियल कॉउन्सिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के नाम से भी जाना जाता था। 

• ICAR की आस्थापना 16 जुलाई 1929 को किया गया था जिसे 1807 के अंतर्गत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किया गया।

•ICAR मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह कृषि, बागवानी, मत्स्य और पशु विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है।

• देशभर में 101 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थान और 71 कृषि विश्वविद्यालय के साथ यह विश्व के सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि प्रणाली है।


3 भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद(ICMR) :- 

•भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की स्थापना 1911 मैं हुई थी।

 • इसे इंडियन रिसर्च फंड एसोसिएशन के रूप में भी जाना जाता था लेकिन वर्ष 1949 में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के रूप में पुनः नामित किया गया।

• इसका कार्य है विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए एक बेहतर औषधियों की खोज करना।

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